Monday, May 20, 2013

सोने की चिडया भारत


सोने की चिडया भारत
भारतीय इतहास में सोने के एक अहम रोल रहा है . यहाँ सोने के प्रति इतनी दीवानगी हे की  भारत को सोने की चिडया कहावत का सही अर्थ समझने की ज़हमत कभी नहीं की. सदियों से भारत सोने का एक बड़ा इम्पोटर रहा है ,, यहाँ के सामाजिक ढांचे में सोना इस तरह रचा बसा है की इसे निकलना नामुमकिन है .. हम भारतीय हजारों सालों से मसालों के बदले सोना लेते आए हें जिन मसालों को ईरानी तुर्किस यूरोप और खाड़ी को सोने की तरह बेचते आए हें ,, उन्ही के लिए हम सोने की चिडया थे ,, मगर उस वक़्त स्वर्ण युग था,, आज स्वर्ण युग नहीं हे करंसी युग हे ऑयल युग हे मशीन युग हे ,, मगर हम स्वर्ण मोह में आज भी जकड़े हें ,, पैदा होने पर सोना , मुंडन पर सोना , शादी में सोना , तलक में सोना ,,मरने में सोना .. और जो भारत्या इसे मोको पर सोना ना जुटा पाए उसे सामाजिक तिरस्कार का सामना करना पड़ता हे  ...सरकार ने आज तक जरूरी नहीं समझा की वह देश की भोली जनता को समझाए की उनके इस भूल के कारण देश को कितना घाटा होता इसी की ऊँची कीमत रूपये की इंटरनेशनल बाज़ार में कीमत गिराती हे जिस के कारण तेल महंगा होता हे देश में महगाई बढती . और सब से खतरनाक खेल यह हे की दुनिया में कुछ ख़ास नेटवर्क हमारे देश की इकोनोमी को ऊपर नीचे करने में समर्थ होपते हें . क्यों की वह हमारे सोने के प्रति मोह को भली भांति जानते हें,, और वह यह भी जानते हें भारत में सरकार इस पर कोई कदम नहीं उठाएगी .. क्यों की उसे वोट चाहिए, जय हिन्द