Tuesday, December 17, 2013

एकलव्य द्रोण को अंगूठा नहीं देगा

दोस्तों आप को याद होगा महाभारत का एकलव्य।  आज दुसरे एकलव्य कि कहानी सुनाता हूँ , अन्ना  हज़ारे नई सदी के द्रोण है और एकलव्य है केजरी वाल। अन्ना जी का इतिहास यह है कि उन्होंने एक आंदोलन के सहयोगियों को कभी दुसरे आंदोलन में दोहराया नहीं,गुरु द्रोण शायद इस बार निशाना चूक गए। और युद्ध में एकलव्य को बहादुरी से बढ़ते देख शायद भोचक्के रहगये। लोकतंत्र के महाभारत में अब लोकपाल को इतिहास के पन्नो में अपने नाम दर्ज करने कि लालसा में गुरु द्रोण सिखंडी लोकपाल को भी क़ुबूल कर युद्ध जीतने का भरम पाल चुके हें द्रोण को ऐसा प्रतीत हो रहा है कि लोकपाल नाम का अंगूठा उन्होंने एकलव्य से छीन लिया है। अब एकलव्य महाभारत के युद्ध में अपनी राजनेतिक तीर अंदाज़ी कि कला में कुछ नहीं कर पायेगा और गुरु द्रोण हमेशा कि तरह इस बार भी  अपना रुतबा सब से आला रखने में कामयाब रहेगा। गुरु द्रोण राज प्रोहित कि तरह जश्न तो मनाएंगे मगर कौरव पान्डव को एकलव्य के कहर से बचा नहीं  पाएंगे। क्योंकि इस बार केजरीवाल नामक एकलव्य द्रोण को अंगूठा नहीं देगा और युद्ध में अपनी तीर अंदाज़ी कि निपुणता का सबूत देंगा। गुरु द्रोण इस बार कौरव पांडव के रथ पर बेठ कर राज करने के दिन गए।  क्यों कि यह इकीसवी सदी कि जनता है , सब जानती है। 

Wednesday, December 11, 2013

सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,. देखना है जोर कितना बांजुए कातिल में है l

आज फिर गेस के दाम बढ़ा दिए गए , जब कि आज कच्छे तेल के दाम १०० डॉलर से भी कम हैं। आज देश कि जनता को गम्भीरता से विचार करना होगा कि देश में बढ़ती कीमत कोंग्रेस या बी जे पी. के बस से बाहर क्यों हे। आम आदमी को यह समझना पड़ेगा कि यह दोनों पार्टी रुपय कि गिरती कीमत और देश में बढ़ती कीमत को लगाम क्यों नहीं लगा सकती। क्यों कि इन दोनों पार्टियों कि विदेश निति एक जेसी है। एक ने गेट समझोता किया दूसरी ने डब्ल्यू टी ओ पर हस्ताक्षर किये। कल बी जे पी आ भी जाये तो वो भी विदेशयों के आगे घुटने टेके हुए नज़र आरहे हें। और वाजपेयी जी कि सरकार ने भी बहुत बड़ी संख्या में विदेशी कंपनिया और इम्पोर्ट को बढ़ावा दिया था। ज्ञात रहे चीन ने सिर्फ तकनीक इम्पोर्ट कि है प्रोडक्ट नहीं। भारत का विदेश व्यापार लगभग ६.२ बिलयन डॉलर का निर्यात और १२.७ बिलयन डॉलर का आयात यानि निर्यात के मुकाबले आयात दोगुना है। इस हालात का सीधा मतलब है कि हर साल डॉलर के मुकाबले रुपया कि कीमत दोगुना गिरेगी। सरकार विदेशी कंपनियो के दबाव में ऐसा होने दे रही है , यानि समझौतों के चलते दोनों ही पार्टियां महगाई नहीं रोक सकती। इस देश में इन संधियों को तोडना ज़रूरी है या अपने हितो के मुताबिक मोड़ना ज़रूरी है और यह सिर्फ इस देश कि आम जनता ही कर सकती है ,, इस आगे कि बहस मेरे साथ जल्दी ही देखिये राष्ट्र खबर पर . जय हिन्द