क्या न होने पाए

आज फिर भारत हुआ शर्मसार , आज फिर भारत के आज के सब से सम्मानित हस्ती को किया बे आबरू

आज फिर भारत हुआ शर्मसार , आज फिर भारत के आज के सब से सम्मानित हस्ती को किया बे आबरू , डा. अब्दुल कलाम को अमेरिका तलाशी के नाम पर किया अपमानित , मुझे बेहद अफ़सोस है की भारतीय राजनीतिज्ञ मेरिका के पिट्ठू हें , सबूत यह है की जब अमेरिकन रास्ट्रपति भारत आता है तो अमेरिकन सिक्योर्टी भारतीय राट्र पिता महात्मा गांधी की समाधी पर कुत्ते छोड़ते हें और भारतीय सर झुकाये उनका सम्मान करते दीखते हें . अमेरिकन ऑफिसर भारत के एक पांच सितारा होटल के मेनेजर को कहते हें की उनके कुत्ते को सर कहो क्यों की वह उनकी सिक्योर्टी टीम का सदस्य है तो बेचारा होटल मेनेजर सर झुका कर भारत में ही मेरिका के कुत्ते को सर कहता है क्यों की वह जानता है की अगर उसने सर ना कह कर भारत का सम्मान बचाया तो अपनी नोकरी नहीं बचा पायेगा , भारत में जब नई विधान सभा या लोक सभा का चयन होता है तो उनका एक डेलीगेशन बना कर अमेरिका भेजा जता है.. आका के दरबार में उनकी तहज़ीब और उनका आदर केसे करना है यह सीखने , फिर वो सब भारत आकर उनके दिखाए रास्ते पर चलते हें .पिछली बार जब अब्दुल कलाम साहिब की बे इज्ज़ती की गई थी तब भारत ने उस एयर लाइन को कारन बताओ नोटिस भेजा गया था जिस का आजतक कोई जवाब नहीं मिला है . दरअसल यह अमेरिका जानबूझ कर इस लिए करता है की भारतियों पर एक मानसिक दबाव बना रहे , भारतीय जनता में यह सन्देश पहुंचे की उनकी सरकार नपुंसक है . वह अमेरिका का कुछ नहीं कर सकती इस लिए भारतीय जनता अमेरिका या अमेरिकन कम्पन्यों के खिलाफ आवाज़ उठाने की जुर्रत ना करें .मीडिया भी अमेरिका के खिलाफ मही बोलेगा क्यों की आज भारत के कई बड़े न्यूज़ चैनल व अखबार अमेरिका ने ही खरीद रक्खे है .और वो ही इस वक्त न्यूज़ बाज़ार के लीडर हें .. और जेसे आपने अभी की रिपोर्ट में देखा की इंडस्ट्री ग्रोथ १.६ पर्तिसत बताई गयी उसमे भारतीय सरकार ने कोई खलसा नहीं किया की यह ग्रोथ भारतीय उद्ध्योग की है यह अमेरिकन ,, मेरा अनुमान है की अमेरिकन इंडस्ट्री की ग्रोथ भारत में ३० पर्तिसत से जियादा है और भारतीय इंडस्ट्री की गिरावट ३० पर्तिसत के आस पास है दोनों को जोड़ कर भारत के मन चित्र पर अमेरिकन मुनाफे और भारतीय घाटे को हिसाब बराबर करदिया . और जनता को धोका देकर अमेरिकन वफ़ादारी का सुबूत दिया जा रहा है . में देश वासियों से अपील करता हूँ की अपना आत्म सम्मान बचालो और फिलहाल की बीमार पडचुकी राजेतिक वेवस्था को सूज्बूझ के साथ शुद्धि करण करडालो . वरना तबाह हो जओगे . हो सकता है जल्दी ही मेरी ज़बान बंद करदी जाये . मगर मुझे कसम है मादरे वतन सरज़मीने हिन्दुस्तान की आखरी हॉट हिलने तक यूं ही चीखता रहूँगा जब तक के तुम जाग ना जाओ .. जय हिंद

वो दोर भी देखा है तारीख के पन्नो ने .... लम्हों ने खता की थी सदियों ने सज़ा पायी

आज देश की जनता यह उम्मीद कर रही थी की शायद तेल के रेट घटेगें , मगर शयाम होते होते प्रधानमन्त्री जी देश को एसा तोफा दिया की अगर इस देश की जनता अब भी ना चेती तो इसका खामयाजा आने वाली नस्लें भुगतेगी तेल के रेट बढ़ने का मतलब हर चीज़ के दाम बढ़ना हर वास्तु के दाम बढ़ना यानि इंटरनेशनल मार्केट में रुपय की कीमत गिरना यानि कोकाकोला पेप्सी पीसीडेंट कोलगेट लक्स टोपाज फेयर एंड लवली .और रोज़ मर्रा की अनगिनत अमेरिकन चीजों के बदले जो पैसा बाहर जता है वो पैसा दोगुना तीनगुना जाने लगा है .. जिस पेसे के बदले हमारे देश से कीमती खनिज लेजाया जा रहा है .. यह कहानी समझने के लिए तो बहुत वक़्त लगेगा ,अभी तो यह समझना काफी होगा की यह सरकार हमारे देश में महंगाई बढ़ा कर विदेशी कंपनियों की राह आसान कर रही है उनके लिए खुली कबड्डी खेलने को मैदान बना रही है , आज जब यह परमाणित हो चुका है की केपिटीलिज़म एक विफल अर्थवेवस्था है और अमेरिका यूरोप सहित पूरी दुनिया में इस वेवस्था के खिलाफ जन आन्दोलन जोरों पर हें हमारे परधानमंत्री भारत में कम्पनियों को पूरी आज़ादी देकर उसी अर्थवेवस्था को भारत पर लाद्ध चुके हें और लाद्ध रहे हें ...जबकि वह जानते हें की देश में उनके खिलाफ उठे तूफ़ान में महगाई भी बहुत बड़ी वजह है ..फिर उन्हें अपनी पार्टी का बेडा गर्क करने का क्या शोख चढ़ा है ..यह फिर कोई बड़ी मजबूरी जिसे हम समझ नहीं पा रहे ...या समझ कर भी नहीं समझना हमारी लाचारगी है ......... अब बस में देश वासियों को इतना ही याद दिलाना चाहूंगा ........वो दोर भी देखा है तारीख के पन्नो ने .... लम्हों ने खता की थी सदियों ने सज़ा पायी ,,, जय हिंद

आज कोंग्रेस एक और मुस्लिम नाम के खेत में उगे वोट फसल को काटने के लिए आरक्षण की दरांती तैयार करली हे

इस देश के ब्यास लोग और राजनेता यह समझलें की उन्होंने मिलकर पिछले पचास साल में इन्होने भारत की इकोनोमी को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचाया है ..मुसलमानों को मुख्य धारा से दूर रखने के की साजिश करते करते .. उन्होंने क्या किया में आपको समझाने को कोशिश करता हूँ ,,, आज भर्तिया मुस्लिम भारतीय ट्रांसपेरेंट अर्थ वयवस्था का हिस्सा नहीं है ..क्यों की इस कोमेनिटी ने अपनी एक अर्थ वयवस्था कायम करली है . जिसके कारण अब सरकार की किसी निति या स्टोक एक्सचेंज की उठा पटक से उन्हें कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ता ..और वो चीन के पेटर्न पर अपनी अर्थ वयवस्था मजबूत करने में कामयाब राहा है ..अब मुस्लिम अगर किसी को वोट देता है तो बस पुलिस जेसी चीज़ से उन्हें थोड़ी बहुत मदद मिले इतना ही सोच कर वोट डालने चले जातें हें ..इसलिए इन्हें बेवक़ूफ़ बनाना बहुत ही आसान हे ..मगर इन्हें बेवक़ूफ़ बनाते बनाते सरकारें खुद बेवक़ूफ़ बनगई आज मुस्लिम कोमिनेटी में जियादा तर लोग कारोबार की जिस शेली को अपना चुके हें वो हे ,, कपडे सीं ना, मोटर गाडी ठीक करना ,, राज गिरी ,, अपने छोटे छोटे कारखानों में चाइना की नकली वस्तुवें बनाना ,जापान की नकली वस्तुवें बना और भरात की बड़ी बड़ी कम्पनियों की नक़ल करना .. और घरेलु सेवा बाज़ार की ज़रूरत पूरी करना है इन सभी कार्यों के बिना किसी नीतिगत ढांचे चलना जीडीपी का सही गणना नहीं होना टेक्स सरकारी खातो में जमा नहीं होना देश के विकाश को ४० परतिसत पीछे हटता है ..... लिखने को बहुत बड़ा मेटर मगर आप पड़ने में रुची नहीं लेंगे इसलिए कम लिख रहा हूँ ,,अगर भारतीय सरकार इनकी इस काबलियत को नीतिगत इस्तमाल करे तो हम आज भी चाइना का बढ़ता बाज़ार छेत्र अपनी झोली में डाल सकता हें और दुनिया भर में अपना एक्सपोर्ट दायरा बढ़ा सकते हें और भारतीय अर्थ वयवस्था के नक़्शे को पल भर में बदल सकते हें बस इन २० परसेंट भारतियों को सम्पूर्ण भारतीय मान ना होगा जो फिलहाल नामुमकिन है ..क्यों की यहाँ मुस्लिम सिर्फ वोट खेत है और वो भी लावारिस