Sunday, December 13, 2015

जिससे प्यार के तीर चलें, वो कमान बनु तो बात बने।

जलती दुनिया में शबनम का, तूफ़ान बनु तो बात बने
जिससे प्यार के तीर चलें, वो कमान बनु तो बात बने।
आदम की औलाद हूँ में, यह सोच के में मगरूर नहीं
मायूस हूँ यूँ इक अच्छा सा, इंसान बनु तो बात बने।
लाखो पेड़ परंद चरिन्दे, मेरे जीने का सामान हुए
इनकी हिफाज़त करने का, ऐलान बनु तो बात बने।
हर रोज़ चमन में जाल नया, सैयाद उठाये फिरता है
बेखौफ वतन को करने का फरमान बनु तो बात बने l.
पैगाम-ऐ-अमन हर गुल का चमन आज़ाद क़बाएँ करने को
शम्शीरे कलम की वाहिद में,जो म्यान बनु तो बात बने।
जिससे प्यार के तीर चलें वो कमान बनु तो बात बने........
'''''वाहिद नसीम''''