भ्रष्टाचार

अरब देशों में लोगों के प्रदर्शनों की वजह भ्रष्टाचार के खिलाफ़ लड़ाई ही थी’।

आज भ्रष्टाचार के खिलाफ़ लड़ाई के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के मौके पर संयुक्त राष्ट्र संघ के मादक द्रव्यों और अपराध विभाग के कार्यकारी निदेशक, संयुक्त राष्ट्र संघ के उप महासचिव यूरी फेदोतव ने इतार-तास को अपने एक विशेष साक्षात्कार में बताया कि विश्व भर में प्रतिवर्ष दस ख़रब डॉलर रिश्वत के रूप लिए और दिए जाते हैं। उन्होंने बताया कि यह धनराशि किसी बड़े देश के सकल घरेलू उत्पाद के बराबर है। इस सिलसिले में संयुक्त राष्ट्र संघ के मादक द्रव्यों और अपराध विभाग के प्रमुख ने “अरब बसंत” की घटनाओं का ज़िक्र किया। उन्होंने कहा, ‘यह बात बिल्कुल स्पष्ट है कि अरब देशों में लोगों के प्रदर्शनों की वजह भ्रष्टाचार के खिलाफ़ लड़ाई ही थी’। 

भारत में बड़ी व्हेल चट कर रही हें मूगा चट्टानें

भारत में बड़ी व्हेल चट कर रही हें मूगा चट्टानें
आज भारत में व्हेल नुमा बड़ी और विदेशी कम्पनियां आम आदमी नुमा मूंगा चट्टानों को जड़ से चट कर रही हैं भारतीय बाजारों में अपना माल मन मानी कीमत पर बेच कर खूब मुनाफा कमा रहे हें यह व्हेल भारतियों को वेल्यू फॉर मणि आकने का मोका भी नहीं देती क्यों की भारत में वेल्यू फॉर मणि मोनिटरिंग का कोई वेवस्था नहीं है ,इसलिए यह व्हेल भारतीय समुद्र में बे लगाम हें ,और सरकार ने जो इन पर भारत की साझेदारी की शर्त लगाई है उसका भी यह व्हेल अपने हित में ही इस्तमाल कर रही है , इन कम्पनियों को जो साझेदारी भारतियों को देनी होती है वो हैं कुछ परसेंट शेयर . इन कम्पनियों के शेयर आम भारतीय खरीदता है की उसे इनसे मुनाफा होगा ,मगर यह गिद बड़ी ही चालाकी शायर धारकों को मूल तक खाजाते हें और हम इनका कुछ नहीं बिगाड़ पाते , दो तीन साल तक शायर बाज़ार खूब चढ़ता है और फिर अचानक गिर जता है ज्ञात रहे यह संसेक्स नहीं गिरता बलके इन कम्पनियों में लगी भारतियों की गाढ़ी कमाई एक ही बार में व्हेल मछली की तरह डकार जाती हें और आम भारतीय बेबस लाचार देखता रेह्जाता है उसवक्त उसकी हालत इसी होती हे जेसे किसी हिरनी के बच्चे को शेर बे रहमी से खा रहा हो और डरी सहमी हिरनी अपने बच्चे को शेर के नुकीले दांतों से चाबते हुए देखने के सिवा कुछ ना कर सकती हो, आज यह व्हेल भारत में आम आदमी नुमा मोंगा चट्टानों को जड़ से चाट कर रही हें अगर साहिल के नाखुदाओं ने हिफाज़त ना की तो वो दिन दूर नहीं जब यह व्हेल कश्ती और मुसाफिर दोनों को खाजयेंगी .....जय हिंद



भ्रष्टाचार का राक्षस सरकार की इन परियोजनाओं की पूर्ति पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है

भ्रष्टाचार का राक्षस सरकार की इन परियोजनाओं की पूर्ति पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। पिछले कुछ महीनों में देश के विभिन्न इलाकों में बड़े औद्योगिक कारख़ाने लगाने के सरकार के प्रयत्नों को असफलता का मुँह देखना पड़ा है। स्थानीय अधिकारी तरह-तरह के उच्च आदर्शों की बात करके और नए-नए बहाने सोचकर अपने यहाँ नए कारख़ानों की स्थापना करने से इंकार कर रहे हैं। अपने आदर्शों को वे जन-प्रदर्शनों और व्यावसायिकों त...था उद्योगपतियों के हित में ग़रीब किसानों से ज़बरदस्ती उनकी ज़मीन का अधिग्रहण करने के विरुद्ध आयोजित प्रदर्शनों की आड़ में छिपा रहे हैं। लेकिन जैसा कि भारत के व्यापार, उद्योग और कपड़ा मंत्री आनन्द शर्मा ने बताया अब नए औद्योगिक ज़ोनों की स्थापना उन इलाकों में करने का निर्णय लिया गया है, जहाँ ज़मीन बंजर पड़ी हुई है और जहाँ पर्यावरण दूषण का ख़तरा भी नहीं है। ये इलाके मुख्य मानवापयोगी संसाधनों से बहुत दूर स्थित हैं।लेकिन इस तरह के निर्णय पर भी सबसे पहला सवाल तो यही खड़ा हो जाता है कि ऐसी जगहों पर काम करने वाले हाथ कहाँ से उपलब्ध होंगे? पिछले वर्षों में भारत की जनसंख्या में हो रही तेज़ वृद्धि के कारण गाँवों से महानगरों की ओर जनता का पलायन काफ़ी तेज़ी से ...हो रहा है। यदि इस तरह के औद्योगिक ज़ोनों की स्थापना आर्थिक रूप से पिछड़े इलाकों में की जाएगी तो क्या महानगरों के बेरोज़गार लोग वहाँ काम करने के लिए जाएँगे? एक सवाल यह भी है कि यदि महानगरों के आसपास इस तरह के ज़ोन बनाए जाएँगे तो कहीं ऐसा तो नहीं होगा कि भारत के विभिन्न इलाकों के विकास के बीच बड़ी असमानता दिखाई देनी लगेगी। कुछ इलाके बहुत ज़्यादा विकसित होंगे और कुछ इलाके एकदम अविकसित ही रह जाएँगे।